पुनौरा मठ श्री जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम मंदिर सीतामढ़ी न्यास समिति

उक्त मंदिर/न्यास के परिसम्पत्तियों की सुरक्षा, सुचारू प्रबंधन एवं सम्यक् विकास हेतु बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम 1950 की धारा 32 के अन्तर्गत एक योजना का निरूपन एवं इसके कार्यान्वन हेतु एक न्यास समिति का गठन किया जाना आवश्यक है।

उपरोक्त परिस्थति में मैं अखिलेश कुमार जैन, बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 की धारा 32 में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को प्रदत्त अधिकार जो धार्मिक न्यास की उपविधि सं0-43 (द) के तहत अध्यक्ष को प्राप्त है, का प्रयोग करते हुए "पुनौरा मठ (श्री सीता जन्म कुण्ड स्थल (श्री जानकी जन्म भूमि पुनौरा धाम मंदिर) ग्राम-पुनौरा, थाना वो जिला-सीतामढ़ी" की सम्पत्तियों की सुरक्षा, बेहतर प्रबंधन तथा सम्यक् विकास हेतु निम्नांकित योजना का निरूपण तथा इसे मूर्त रूप देने एवं संचालन के लिए पर्षद के आदेश दिनांक-02.09. 2022 के आलोक में एक न्यास समिति का गठन किया जाता है।

योजना

अधिनियम की धारा-32 के तहत निरूपित इस योजना का नाम "पुनौरा मठ (श्री सीता जन्म कुण्ड स्थल (श्री जानकी जन्म भूमि पुनोरा धाम मंदिर) ग्राम-पुनौरा, थाना वो जिला-सीतामढ़ी न्यास योजना होगा" तथा इसके कार्यान्वयन एवं संचालन के लिए गठित, न्यास समिति का नाम "पुनौरा मठ (श्री सीता जन्म कुण्ड स्थल (श्री जानकी जन्म भूमि पुनौरा धाम मंदिर) ग्राम-पुनौरा, थाना वो जिला-सीतामढ़ी न्यास समिति" होगा। जिसमें न्यास की समग्र चल-अचल सम्पत्ति के संधारण एवं संचालन का अधिकार निहित होगा। इस न्यास समिति का मुख्य कर्त्तव्य न्यास की सम्पत्ति की सुरक्षा एवं सुसंचालन तथा मंदिर की परम्परा एवं आचारों के अनुकूल पूजा-पाठ एवं साधु-सेवा की समुचित व्यवस्था करना होगा। न्यास की समस्त आय न्यास के नाम किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोलकर जमा किया जायेगा तथा अध्यक्ष या सचिव और कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर से इसका संचालन होगा।

न्यास की आय-व्यय में आर्थिक शुचिता एवं पारदर्शिता रखना न्यास समिति की असली कसौटी होगी। न्यास समिति बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम एवं उप-विधि में वर्णित सभी प्रावधानों का सम्यक् अनुपालन सुनिश्चत करेंगे तथा वार्षिक आय का विवरण बजट एवं अंकेक्षण प्रतिवेदन बैठक का कार्यवृत्त एवं देय शुल्क राशि पर्षद को ससमय भेजेंगे तथा न्यास परम्परा का पालन करेंगे।

न्यास समिति/पदाधिकारी / सदस्य को न्यास की कोई भी सम्पत्ति का हस्तान्तरण, बदलैन, बिक्रय तथा पट्टा पर देने या किसी प्रकार से न्यास सम्पत्ति का दुरूपयोग करने का अधिकार नहीं होगा अगर वे पैसा करते है तो शुन्य वो अवैध होगा।

अध्यक्ष की अनुमति से सचिव न्यास समिति की बैठक आहूत करेंगे। न्यास समिति की बैठक प्रत्येक तिमाही में एक बार अवश्य बुलायी जायेगी और बैठक की कार्यवृत पर्षद को प्रेषित की जायेगी। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता करेगें।

न्यास समिति द्वारा कोई नयी योजना न्यास हित में आवश्यक समझा जायेगा तो इस हेतु निर्धारित विशेष बैठक में प्रस्ताव पारित कर पर्षद् को अनुमोदन के लिए भेजेगी।


न्यास समिति न्यास की सम्पत्ति की सुरक्षा एवं व्यवस्था के साथ-साथ अतिक्रमित / हस्तांतरित भूमि यदि कोई है, को वापसी के लिए समुचित वैधानिक कार्रवाई करेगी।

इस योजना में परिर्वतन, परिबर्धन या संशोधन तथा आकस्मिक रिक्तियों की पूर्ति का अधिकार पर्षद में निहित होगा। न्यास समिति के कोई सदस्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से न्यास सम्पत्ति से लाभ उठाते पाए जायेंगे या न्यास हित के प्रतिकुल कार्य करेंगे तो इस संबंध में उनसे स्पष्टीकरण प्राप्त कर समुचित कार्रवाई की जाएगी। न्यास के प्रतिकुल कार्य करते पाये जाने की स्थिति में सदस्य को समिति के कार्यकाल की अवधि के दौरान ही उन्हे सदस्यता से मुक्त किया जा सकता हैं।

न्यास समिति के सदस्य की यदि कोई आपराधिक पृष्ठभूमि होगी या वे आपराधिक काण्ड में आरोप-पात्रित होगें तो उनकी अर्हता स्वतः समाप्त हो जायेगी।

न्यास समिति द्वारा किसी प्रकार कोई आयोजन किया जाता है तो जिसमें 05 लाख से अधिक की राशि खर्च का अनुमान हो तो खर्च करने से पूर्व पर्षद से अनुमति लेना आवश्यक होगा। इसी प्रकार यदि मंदिर के विकास या संरचना के मद में 10 लाख रूपये अधिक की राशि खर्च होने का अनुमान हो तो उसका अनुमानित खर्च विवरणी प्रस्तुत कर पूर्व अनुमति पर्षद से लेना आवश्यक है और यदि उपरोक्त राशि निर्धारित सीमा के अन्दर आती है तो भी उसकी सूचना पर्षद को दी जाएगी।

पशुओं के होने वाले बध और उनके प्रति होने वाली क्रुरता पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 (पी०सी०ए०) की धारा-11 भारतीय दंड संहिता (आई०पी०सी०) की धारा--428, 428 के तहत् दंडनीय अपराध बनाया गया है। अतः न्यास/मठ/मंदिर में रहने वाल पशुओं (गोधन) को बेसहारा खुला छोड़ना/भोजन नहीं देना/पैसा कोई कार्य प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षताः करना जिसका उद्देश्य "पशु का बध) होता हों या उक्त कार्यों को बढ़ावा मिलता हों, पैसा कोई कार्य न्यासधारी / सेवैत / महंत / न्यास समिति के सदस्य द्वारा नहीं किया जायेगा।